Mrit Sanjivani Mantra Puja & Hawan Online
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Category : Online Puja
WHY YOU NEED THIS POOJA
Shree Mrit Sanjeevani Puja Mantra Japa and Yajna is one of the biggest Pujas. The main objective of this puja is to revive someone suffering from serious health issues and to ease his sufferings. Mrit Sanjeevani Puja is performed so that a person whose death is apprehended in future can be avoided so that the native can live a complete and long life, if done with full faith and the devotion by the devotee. The Mrit Sanjeevani puja is also performed to make an individual healthy and diseases free.
The Mrit Sanjeevani Mantra is one of the potent mantras of our authentic ancient Scriptures which is believed to have great divine healing properties. This Puja is said to be a tantric puja done to give the life to a dying person.
The Lord Shiva himself gave the Mrit Sanjeevani Mantra to sage Shukracharya and instructed him not to misuse this divine mantra and to make use of it only for good purpose. According to another legend, it is also said that the Mrit Sanjeevani Mantra was derived by ancient sages by combining the two most powerful Mantras, the Maha Mritunjaya Mantra of Lord Shiva and Gayatri Mantra of Goddess Gayatri.
Mrit Sanjeevani Mantra:
ऊँ हौं जूं स: ऊँ भूर्भुव: स्व: ऊँ त्र्यंबकंयजामहे ऊँ तत्सर्वितुर्वरेण्यं ऊँ सुगन्धिंपुष्टिवर्धनम ऊँ भर्गोदेवस्य धीमहि ऊँ उर्वारूकमिव बंधनान ऊँ धियो योन: प्रचोदयात ऊँ मृत्योर्मुक्षीय मामृतात ऊँ स्व: ऊँ भुव: ऊँ भू: ऊँ स: ऊँ जूं ऊँ हौं ऊँ
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इस मंत्र के जाप से व्यक्ति को पुनर्जीवित करने की बात की जाती है। चिरकाल में दानवों ने देवताओं के दूत कूच का वध कर दिया। इसके बाद शुक्राचार्य ने संजीवनी विद्या के माध्यम से कूच को पुनर्जीवित कर दिया। कालांतर में कूच ने यह विद्या देवताओं को सीखा दिया।
हमारे शास्त्रों और पुराणों में गायत्री मन्त्र और महामृत्युंजय मंत्र का सबसे अधिक महत्व है, इन दोनों मंत्र को बहुत बड़े मंत्रो में से एक माना जाता है क्योंकि इन दोनों मंत्र से आपके सभी तरह के संकटों से मुक्ति मिल जाती है।
हमारे शास्त्रों में ऐसे कई सारे उल्लेख मिलते है जिनमे यही दो मंत्र सबसे प्रमुख स्थान में आते है क्योंकि इनसे अधिक शक्तिशाली और कोई मंत्र नहीं है।
आज हम जिस मंत्र की बात कर रहे है यह गायत्री मंत्र और महा मृत्युंजय मंत्र दोनों से मिलकर बना है. ऐसा माना जाता है की इसी मंत्र से किसी मृत व्यक्ति को भी दुबारा जीवित किया जा सकता है, यानि कि इसी मंत्र से कई सारे बड़े-बड़े रोगों और संकटों से मुक्ति मिल जाती है, ऐसा भी माना जाता है की इसी मंत्र का जाप रावण किया करता था जिससे वो अत्यंत ही शक्तिशाली बन जाता था।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार श्री मृत संजीवनी पूजा का प्रयोग आसमयिक आने वाली मृत्यु को टालने के लिए, लंबी आयु के लिए, स्वास्थ्य के लिए तथा गंभीर कष्टों से मुक्ति पाने के लिए किया जाता है तथा इस पूजा को विधिवत करने वाले अनेक जातक अपने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में अनेक प्रकार के लाभ प्राप्त कर पाने में सफल होते हैं।
श्री मृत संजीवनी पूजा का आरंभ सामान्यतया सोमवार वाले दिन किया जाता है इसके समापन का दिन भी सामान्यतया सोमवार ही रखा जाता है।
किसी भी प्रकार की पूजा को विधिवत करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है उस पूजा के लिए निश्चित किये गए मंत्र का एक निश्चित संख्या में जाप करना तथा यह संख्या अधिकतर पूजाओं के लिए 125,000 मंत्र होती है तथा श्री मृतसंजीवनी पूजा में भी श्री मृतसंजीवनी मंत्र का 125,000 बार जाप करना अनिवार्य होता है।
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