Asht Laxmi Puja
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Category : Ghar pe puja
WHY YOU NEED THIS POOJA
Ashtlaxmi Puja Gives Special advantage for success and happiness of each and every member of the family. It is believed that by worshiping nine forms of Maa Durga, the devotee gets immense blessings of Maa with all happiness. Eight forms of Ashtlaxmi maa are; Adi Lakshmi.
Dhanya Lakshmi, Gaja Lakshmi, Santaan Lakshmi, Dhairya Lakshmi, Vijaya Lakshmi, Vidya Lakshmi, Ashvarya Laxmi.
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इस पूजा के महत्व
अष्ट लक्ष्मी पूजा का उद्देश जीवन में धन के अभाव को मिटा देना है। इस साधना से भक्त कर्जे के चक्रव्यूह से बहार आ जाता है। आयु में वृद्धि होती है। बुद्धि कुशाग्र होती है। परिवार में खुशाली आती है। समाज में सम्मान प्राप्त होता है। प्रणय और भोग का सुख मिलता है। व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा होता है और जीवन में वैभव आता है।
ऐसा शास्त्रों में वर्णन आता है के महालक्ष्मी के आठ स्वरुप है। लक्ष्मी जी के ये आठ स्वरुप जीवन की आधारशिला है। इन आठों स्वरूपों में लक्ष्मी जी जीवन के आठ अलग-अलग वर्गों से जुड़ी हुई हैं। इन आठ लक्ष्मी की पूजा करने से मानव जीवन सफल हो जाता है। अष्ट लक्ष्मी और उनके मूल बीज मंत्र इस प्रकार है।
1. श्री आदि लक्ष्मी - ये जीवन के प्रारंभ और आयु को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है - ॐ श्रीं।।
2. श्री धान्य लक्ष्मी - ये जीवन में धन और धान्य को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है - ॐ श्रीं क्लीं।।
3. श्री धैर्य लक्ष्मी - ये जीवन में आत्मबल और धैर्य को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है - ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं।।
4. श्री गज लक्ष्मी - ये जीवन में स्वास्थ और बल को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है - ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं।।
5. श्री संतान लक्ष्मी - ये जीवन में परिवार और संतान को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है - ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं।।
6. श्री विजय लक्ष्मी - ये जीवन में जीत और वर्चस्व को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है - ॐ क्लीं ॐ।।
7. श्री विद्या लक्ष्मी - ये जीवन में बुद्धि और ज्ञान को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है - ॐ ऐं ॐ।।
8. श्री ऐश्वर्य लक्ष्मी - ये जीवन में प्रणय और भोग को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है - ॐ श्रीं श्रीं।।
लक्ष्मी साधना गोपनीय एवं दुर्लभ है। ऐसा शास्त्रोक्त वर्णित है कि समुद्र-मंथन से पूर्व सभी देवता निर्धन और ऐश्वर्य विहीन हो गए थे तथा लक्ष्मी के प्रकट होने पर देवराज इंद्र ने महालक्ष्मी की स्तुति की, जिससे प्रसन्न होकर महालक्ष्मी ने देवराज इंद्र को वरदान दिया कि तुम्हारे द्वारा दिए गए द्वादशाक्षर मंत्र का जो व्यक्ति नियमित रूप से प्रतिदिन तीनों संध्याओं में भक्तिपूर्वक जप करेगा, वह कुबेर सदृश ऐश्वर्य युक्त हो जाएगा।
पूजा पूरा होने के बाद आठों दीपक घर की आठ दिशाओं में लगा दें तथा कमलगट्टे घर की तिजोरी में स्थापित करें। इस उपाय से जीवन के आठों वर्गों में सफलता प्राप्त होगी।
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