WHY YOU NEED THIS POOJA
Naamkaran Sanskar of newborn baby is a sacred tradition and one of the most important ceremonies out of total 16 ceremonies. It is the event, when the parents select their newborn baby’s name with the help of panditji on the basis of first letter of his moon sign as per horoscope. Close family members, relatives and friends, who join this ceremony to shower their blessings on the newborn baby for his/her well being and good life. Ideally, the naming ceremony is performed on 11th day after birth but it can be scheduled anytime after the tenth day, and before the baby’s first birthday.
This is the first Sanskar ritual performed immediately after the birth. Namkaran Sanskar brings positive changes in the life of child. The importance of the ceremony increases when it is started with the blessings of the Kul Devta along with the blessings of Goddesses, Gods and then from the elder people at the home.
This pooja is performed by a qualified Pandit.
Your Pooja is Simplified at “AstroPandit Om”
निश्चित समय पर पंडित जी निर्धारित संख्या में आपकी सुविधा अनुसार पूजा करेेंगे और उसके उपरांत विधि विधान से हवन करेंगे।
If you want some special pooja or pooja with more Pandits to be done, please write to us in detail through CONTACT US option or ON REQUEST-SPECIAL POOJA category under BOOK POOJA option.
हिन्दू धर्म में 16 संस्कार बताए गए हैं, जिनमें नामकरण पांचवां संस्कार है। जन्म के बाद यह शिशु का सबसे पहला संस्कार होता है । नामकरण संस्कार का अपना अलग महत्व है। ऐसा माना जाता है कि प्रत्येक व्यक्ति के नाम का उसके कर्मों पर प्रभाव पड़ता है। अच्छा नाम उसे गुणकारी व संस्कारी इंसान बनने के लिए प्रेरित करता है। नाम नक्षत्र के नियत अक्षर से शुरू होना चाहिए। इसलिए, नाम सुन्दर और अर्थपूर्ण रखना चाहिये। अशुभ तथा भद्दा नाम कदापि नहीं रखना चाहिये। ऐसा माना जाता है कि शिशु के नाम का प्रभाव उसके व्यक्तित्व व आचार-व्यवहार पर पड़ता है। यही कारण है कि माता-पिता, घर के अन्य सदस्यों व रिश्तेदारों के लिए नामकरण संस्कार का दिन खास होता है। नामकरण संस्कार से आयु एवं तेज में वृद्धि होती है। मनोविज्ञान एवं अक्षर-विज्ञान के जानकारों का मत है कि नाम का प्रभाव व्यक्ति के स्थूल-सूक्ष्म व्यक्तित्व पर भी गहराई से पड़ता रहता है। नाम सोच-समझकर तो रखा ही जाय, उसके साथ यह भी जरूरी है नाम रोशन करने वाले गुणों के विकास के प्रति जागरूक रहा जाय।
शिशु कन्या है या पुत्र, इसके भेदभाव को स्थान नहीं देना चाहिए। भारतीय संस्कृति में कहीं भी इस प्रकार का भेद नहीं है। इसलिए कन्या या पुत्र जो भी हो, उसके भीतर के अवांछनीय संस्कारों का निवारण करके नामकरण संस्कार कराया जाना चाहिए।
इस दिन माता-पिता नहाकर नए वस्त्र पहनते हैं और शिशु को भी नए कपड़े पहनाए जाते हैं। फिर माता-पिता बच्चे को अपनी गोद में लेकर हवन स्थल पर बैठते हैं। इसके बाद पंडित हवन करने के बाद कुंडली के अनुसार बच्चे की जो राशि होती है, उसके हिसाब से एक अक्षर का चयन किया जाता है। माता-पिता अपने शिशु के लिए इसी अक्षर से शुरू होता नाम रखते हैं। पूजा के बाद माता-पिता कान में बच्चे का नाम बोलते हैं और फिर एक-एक करके सभी सदस्य व रिश्तेदार बच्चे को अपनी गोद में लेते हैं और उसे उसके नाम से पुकारते हैं। नामकरण संस्कार में बच्चे को शहद चटाकर सूर्यदर्शन कराया जाता है और कामना की जाती है की बच्चा सूर्य की प्रखरता-तेजस्विता धारण करे, इसके साथ ही भूमि को नमन कर देवसंस्कृति के प्रति श्रद्धापूर्वक समर्पण किया जाता है। शिशु का नया नाम लेकर सबके द्वारा उसके चिरंजीवी, धर्मशील, स्वस्थ एवं समृद्ध होने की कामना की जाती है।
यदि दसवें दिन किसी कारण नामकरण संस्कार न किया जा सके। तो अन्य किसी दिन, बाद में भी उसे सम्पन्न करा लेना चाहिए। घर परअथवा यज्ञ स्थलों पर भी यह संस्कार कराया जाना उचित है।
To be arranged by Panditji
Hawan Samagri & Samidha, Gangawater, Roli-Moli, aam-patte, paan-patte-supari, Kapoor, Agarbatti-Dhoop, batti etc.
To be arranged by you (Devotee)
Eatables like Milk, curd, Cow Ghee, Honey, Sugar, Haldi, Rice, Fruits, Panchmewa, Sweets, Flower, Mala, Nariyal, Kalash, Hawan Kund etc.