WHY YOU YOU NEED THIS POOJA
Annaprashan Sanskar is an auspicious ceremony and holy Hindu ritual that marks a baby's first intake of food other than milk. It is done by a qualified priest at the home or the temple. The term Annaprashan literally means "eating of the food". In other words, when a baby starts having things other than mother’s milk, Annaprashan Sanskar ceremony is held. It is held by offering Kheer made of rice or sooji and milk to the baby in general. Annaprashan Sanskar for baby boy or baby girl is usually same everywhere.
Cost of Puja (No hidden charges)
पंडित जी समय पर आकर विधि अनुसार पूजा करेंगे और उसके बाद हवन करेंगे.
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अन्नप्राशन संस्कार पूजा के महत्व
अन्नप्राशन संस्कार बच्चे के लिए बेहद खास होता हैI अन्नप्राशन संस्कार का बहुत महत्व है, अन्नप्राशन से पहले शिशु केवल मां का दूध पीता है, इसलिए इस संस्कार का महत्व और बढ़ जाता है, क्योंकि यही वह समय होता है, जब शिशु मां के दूध के अलावा, पहली बार अन्न ग्रहण करता है। अन्नप्राशन को लेकर संस्कृत में एक श्लोक भी है ‘अन्नाशनान्मातृगर्भे मलाशाद्यपि शुद्धयति’ यानी मां के गर्भ में रहते हुए शिशु में मलिन भोजन के जो दोष आते हैं, उसका निदान करना चाहिए और शिशु को पोषण देने के लिए भोजन कराना चाहिए। शुभ मुहूर्त में देवताओं का पूजन करने के पश्चात् माता-पिता समेत घर के बाकी सदस्य सोने या चाँदी की शलाका या चम्मच से बालक को खीर आदि चटाते हैंi शिशु को ऐसा अन्न दिया जाना चाहिए जो उसे पचाने में आसानी हो साथ ही भोजन पौष्टिक भी हो। खीर के अलावा चावल या पुलाव, दाल, सांबर या रसम आदि भीचटा सकते हैंi
कब करना चाहिए अन्नप्राशन संस्कार? |
यह संस्कार शिशु के छह या सात महीने का हो जाने पर किया जाता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि छह महीने तक शिशु सिर्फ मां का दूध पीता है। इसके अलावा, सातवें महीने तक शिशु हल्का भोजन पचाने में सक्षम हो जाता है। ऐसे में छठे या सातवें महीने में अन्नप्राशन करना शिशु की सेहत के लिहाज से भी फायदेमंद होता है।
अन्नप्राशन कहां करना चाहिए?
अन्नप्राशन आप अपनी परंपरा के अनुसार कर सकते हैं। मध्य भारत और उत्तर-पूर्वी भारत में लोग घर में ही अन्नप्राशन संस्कार संपन्न कराते हैं तो वहीं केरल में लोग अपने बच्चे का अन्नप्राशन हिंदुओं के प्रसिद्ध मंदिर गुरुवायूर में कराते हैं, आमतौर पर अन्नप्राशन संस्कार मंदिर में या घर में किया जाता है। आप विशेष आयोजन करके भी अन्नप्राशन संस्कार को संपन्न करा सकते हैं।
अन्नप्राशन संस्कार पूजन की विधि
पूजा किसी योग्य विद्वान ब्राह्मण की सहायता se hi karni चाहिये। सबसे पहले पात्र पूजन में मन्त्रोच्चार के साथ बालक के अभिभावकों को पात्र को चन्दन और रोली लगाकर गंगाजल से शुद्ध करते हुए उसकी पूजा करनी चाहिए। इसके बाद रोली से स्वास्तिक बनाएँ और पात्र को फूल चढ़ाएँ। इसके बाद मंत्र उच्चारण करते हुए प्रार्थना करें कि पवित्र पात्र अपने शुद्ध और सकारात्मक प्रभाव से बालक के पहले अन्न को दिव्यता प्रदान करें और उसकी सहायता करें। इसके बाद, बच्चे को मामा की गोद में बिठाया जाता है और मामा ही उसे पहली बार अन्न खिलाते हैं। पहला निवाला खाने के बाद परिवार के अन्य सदस्य बच्चे को अन्न खिलाते हैं, दुआएं देते हैं और बच्चे के लिए उपहार भी लाते हैं। अलग-अलग परम्पराओं के आधार पर अन्नप्राशन संस्कार की विधि में बदलाव हो सकते हैं। पूजन के दौरान बच्चे के सामने मिट्टी, सोने के आभूषण, कलम, किताब और खाना रखा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इनमें से शिशु जिस पर भी हाथ रखता है, उसी से उसके भविष्य का अंदा्जा लगाया जाता है।:
अगर बच्चा किताब पर हाथ रखे, तो वह सीखने में आगे रहेगा।
अगर बच्चा कलम पर हाथ रखे, तो वह बुद्धिमान होगा।
अगर बच्चा सोने के आभूषण पर हाथ रखे, तो माना जाता है कि वह भविष्य में धनवान रहेगा।
अगर बच्चा मिट्टी पर हाथ रखे, तो उसके पास संपत्ति होगी।
अगर बच्चा खाने पर हाथ रखे, तो वह दयावान होगा।
सावधानियां
अन्नप्राशन के दौरान सुरक्षा के लिहाज से कुछ सावधानियां बरतने की जरूरत होती है। नीचे हम इस संस्कार से जुड़े कुछ खास सावधानियां रहे हैं:
संस्कार से पहले बच्चे को अच्छी तरह सुला दें, ताकि समारोह के दौरान वो नींद से चिड़चिड़ा न हो।
बच्चे को मुलायम, आरामदायक और ढीले-ढाले कपड़े पहनाएं।
ध्यान रहे कि बच्चे के आसपास ज्यादा भीड़ न हो।
अगर गर्मियों का मौसम है, तो बच्चे के सूती कपड़े अपने पास रखें, ताकि जरूरत पड़ने पर उसके कपड़े तुरंत बदल सकें। अगर ठंड का मौसम है, तो बच्चे का एक स्वेटर साथ में रखें। अगर उसे ज्यादा ठंड लगने लगे, तो पहना दें।
बच्चे को खिलाते समय हमेशा साफ-सफाई का खास ध्यान रखें। उसे खिलाने वाला व्यक्ति अपने हाथों को ठीक से धोए, ताकि बच्चे को इन्फेक्शन न हो।
इसके अलावा, बच्चे को बीच-बीच में आराम भी कराती रहें, ताकि उसे थकान न हो। थकान होने पर बच्चा चिड़चिड़ा हो सकता है।
बच्चे को धुएं वाली जगह से दूर रखें। इससे उसकी आंखों में जलन हो सकती है।
इस पल को यादगार बनाने के लिए तस्वीरों की एल्बम बनवाना न भूलें।
By Panditji
Hawan Samagri & Samidha, Gangajal, Roli-Moli, abeer/gulal, Tulsi, Doob graas, aam-patte, paan-patte-supari, Kapoor, Agarbatti-Dhoop, Batti, Flowers. Ghee, Honey, Fruits, ,Nariyal.
To be arranged by you (Devotee)
Sweets/ Kheer, Hawan Kund